15 मार्च 1975 भारत का वह गौरव शाली पल जब भारतीय हाकी टीम ने विश्व कप जीतकर भारत को विश्व विजेता बनने का गौरव दिलवाया

दिल्ली/ 15  मार्च  की तारीख़ हर  भारतीय के लिए गौरव की अनुभूति और गर्व कराने  वाली है  ।1975 विश्व विजेता  भारतीय हॉकी टीम का प्रत्येक खिलाड़ी भारत को भारत कहलाने की इस कहानी मे सम्मान का हकदार है ।

इससे पूर्व हम हॉकी मे ओलिंपिक विजेता अवश्य थे पर कभी भी किसी भी खेल मे हमे विश्व विजेता होने का गौरव  हासिल नहीं हुआ था ।15 मार्च 1975 वह तारीख है जब हमे विश्व विजेता बनने का गौरव प्राप्त हुआ और इसके लिए हमारे सभी 1975 विश्व कप  विजेता टीम के खिलाड़ियों  को जितना भी सम्मान स्नेह  दिया जाए कम है   क्योंकि उनकी मेहनत और लगन का परिणाम  है की हम भारतीयों को  विश्व मानचित्र पर भारतीय कहलाने का हक मिला की हाँ हम भारतीय  हाकी के विश्व विजेता हैं और इसलिये जब भी  1975 विश्व कप जीत की चर्चा होती है तब हर भारतीय को लगता है कि यह विश्व कप मैंने ही जीता है और  इस अनुभूति  और खुशबु को स्वयं 1975 भारतीय हॉकी टीम  के प्रत्येक सदस्य ने इस देश मे पैदा किया  है कि यह जीत हर नागरिक को अपनी जीत लगती है ।

47 वर्षो के बाद भी जब हम अशोक कुमार को विश्व ਕਪ  ट्रॉफी के साथ देखते हैं तो ऐसा लगता है कि अशोक कुमार ने अभी भी पाकिस्तान पर विजयी गोल किया है। ऐसा लगता है ग्रेट सुरजीत सिंह ने अभी भी पेनल्टी कार्नर पर गोल कर पाकिस्तान से मैच को  बराबरी पर ला  खड़ा किया  है ।लगता है मलेशिया से मैच मे अभी अभी असलम शेर खान ने पेनल्टी कार्नर पर गोल कर भारत  को संघर्ष पूर्ण मुकाबले मे  वापसी  करा दी वहीं अतिरिक्त समय मे Harcharn सिंह ने गोल कर भारत को फाइनल मे पंहुचा दिया है ।

ऐसा लगता है अभी अभी कप्तान अजित पाल सिंह ने विश्व विजेता ट्रॉफी को  अपने दोनों हाथों मे उठाया है ।   अशोक दिवान  ,लेस्ली फर्नाडिस, असलम शेर खान, kindo   अजित पाल सिंह  ,varinder सिंह ,मोहिंदर पाल सिंह  मुन्शी , ओंकार सिंह ने  चट्टान  की भाँति भारतीय गोल क्षेत्र  की  ऐसी रक्षा की  इन   चट्टानों को दुनिया  की कोई ताकत  तोड़ नहीं पायी ।

फिलिप्स, गोविंदा  ,अशोक कुमार Harcharn सिंह ,शिवाजी पवार, पी  कलिया  के पगों मे तूफ़ानों  की गति को दुनिया मे कोई ताकत  रोक नहीं  पायी।  परिणाम सामने है कि हम विश्व विजेता कहलाने के हकदार बने ।

 विश्व विजेता सभी खिलाड़ियों से पूछे कि आपके जीवन  का क्या सपना है तो वे सभी आशा भरी  नजरों से आसमान को निहारते हुए बस  कहते है एक बार फिर भारत को   भारत की हाकी का स्वर्णिम युग लौट आए और हम अपनी आँखों से  उसे देख सके  ।

उनकी अभिलाषा को देखिए विश्व विजेता खिलाडियों  की ललक को देखिए । साधारण जीवन जीते ये  खिलाड़ी वास्तव मे हमारे देश के वे असली हीरो है जिन पर हर भारतीय को गर्व है।

हेमंत चंद्र दुबे बबलू बैतूल।

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